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अधूरा खत - लेखनी कहानी -11-Mar-2022

अधूरा खत
सान्वी के हाथों में उड़ते हुए खत को देखकर मोहित स्वयं को रोक न पाया क्योंकि वह अकसर उसे उस खत के साथ घंटों समय बिताते देखता था।  उसने सान्वी से कहा, "सान्वी, इस खत में ऐसा क्या है जो तुम अकेले बैठे घंटों इसे देखती रहती हो।" सान्वी ने कहा,"इसमें कुछ पुरानी यादें और जज़्बात हैं। साथ ही एक पश्चाताप है जो आज भी अधूरा है। शायद इसीलिए ये खत पूरा नहीं हो पाया।"
"कैसा पश्चाताप?"मोहित ने आश्चर्य से पूछा। सान्वी ने कहा,"ये एक लम्बी कहानी है, मेरे बचपन की। मैं और राजवी बहुत अच्छे दोस्त थे। राजवी गरीब थी और मैं मध्यमवर्गीय परिवार से थी। मुझे नृत्य का शौक था अतः मैं इसके लिए नृत्य कक्षाएँ करती थी और जब भी राजवी से मिलती, उसे अपने नृत्य दिखाती तथा उसे भी सिखाती। एक दिन मैंने राजवी को एक नृत्य प्रतियोगिता के बारे में बताया जिसमें मैं हिस्सा लेने वाली थी। मैंने राजवी को भी इसमें हिस्सा लेने के लिए कहा। राजवी ने मना कर दिया कि उसके पास न तो प्रतियोगिता के लायक कपड़े हैं और न ही उसने कभी मंच पर नृत्य किया है, वह न कर पाएगी। मैंने उसे अपने कपड़े देने की  बात की किन्तु राजवी ने मना कर दिया जिससे मैं दुखी हो गयी। राजवी ने घर जाकर जब सारी बात माँ को बताई तो उसकी माँ ने समझाया कि तुम हार-जीत के लिए नहीं बल्कि अपनी सहेली के लिए इस प्रतियोगिता में हिस्सा लो। राजवी ने जब ये बात मुझे बताई तो मैं बहुत खुश हुई। हमें दोनों ने कठिन अभ्यास किया। प्रतियोगिता के प्रथम दौर में मेरे नृत्य को सबसे ज्यादा पसंद किया गया तथा राजवी को भी बहुत सराहना मिली। हम दोनों बहुत खुश थे।"
"ये तो अत्यंत हर्ष और गर्व की बात है।" मोहित ने कहा। सान्वी बोली, "हाँ! उस दिन हम दोनों अत्यंत हर्षित थे और एक-दूसरे के साथ हमने खूब मज़े किये। अगले दिन प्रतियोगिता का दूसरा दौर हुआ जिसमें जब लोगों ने राजवी के नृत्य को मुझसे अधिक पसंद किया तो मुझे न जाने क्यों अच्छा न लगा। मुझे लगा कि मुझसे हीं नृत्य सीखकर राजवी मुझसे बेहतर प्रदर्शन कैसे दे सकती है किंतु फिर भी मैंने राजवी को बधाई दी।"
मोहित ने आश्चर्य से पूछा, "राजवी को तो तुमने ही प्रतियोगिता में हिस्सा लेने को कहा था तो उसकी सराहना पर तो तुम्हें प्रसन्न होना चाहिए था!"
सान्वी बोली, "सही कहा तुमने, किंतु मुझे कुछ पल के लिए ऐसा लगा जैसे वाह मुझे नीचा दिखा रहीं हो। खैर प्रतियोगिता के अंतिम दौर का दिन भी आ गया। प्रतियोगिता हॉल की ओर जाते वक़्त मेरे मन में ईर्ष्यावश राजवी को सीढ़ियों से धक्का देने का विचार आया किंतु अचानक मेरा पैर फ़िसल गया और मोच आ गयी। राजवी बहुत दुखी थी किंतु उसने मेरी मरहम पट्टी करवाई और मुझे एक कमरे में अकेला छोड़कर प्रतियोगिता में हिस्सा लेने चली गयी क्योंकि वह इसमें जीतकर मुझे खुश देखना चाहती थी। मुझे लगा कि राजवी के लिए दोस्ती से ज्यादा प्रतियोगिता ज़रूरी है इसलिए मुझे उस पर बहुत गुस्सा आ रहा था। कुछ समय बाद मुझे संचालक स्वयं लेने आये तो मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ। प्रतियोगिता हॉल में प्रवेश करते ही लोग मेरे लिए तालियाँ बजा रहे थे। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि ये क्या हो रहा है। मैं जब मंच पर पहुँची तो पता चला कि राजवी ने प्रतियोगिता जीत कर भी मेरे बिना ट्रॉफी लेने से इंकार कर दिया था। राजवी ने कहा कि जिस दोस्त के कारण आज वह इस मंच पर खड़ी हो सकी है, वही इस ट्रॉफी की वास्तविक हक़दार है। अगर ऐसी  मित्र हर गरीब के पास हो, तो कोई कभी गरीब नहीं रहेगा। मेरी दोस्ती मेरी सबसे बड़ी दौलत है। राजवी की बातों ने मुझे बुरी तरह झकझोर दिया और मुझे अपनी सोच पर शर्मिंदगी हुई। उसके बाद हमारी दोस्ती और भी गहरी हो गयी।"
"किंतु इस घटना में पश्चाताप की क्या बात है, मुझे समझ नहीं आया!"मोहित ने कहा। "वास्तविकता ये थी कि मेरा पैर राजवी को चोट पहुँचाने के प्रयास में फिसला था, इस बात का राजवी को आज तक पता नहीं है। मैं इस खत में अपनी गलती लिखकर राजवी से माफी माँगना चाहती हूँ किंतु उसकी दोस्ती खोने के डर से हाथ लिखते-लिखते रुक जाता है। इसीलिए  ये खत अधूरा है और मुझे हर पल अपनी गलती का अहसास दिलाता है।" कहते-कहते सान्वी की आँखों से आंसू बहने लगे। मोहित ने जब सान्वी से कहा कि वह सारी सच्चाई राजवी को बता दे तब सान्वी ने मना कर दिया और खत सीने से लगा कर अंदर चली गयी। मोहित को समझ नहीं आ रहा था कि सान्वी को ये अधूरा खत पूरा करके अपना पश्चाताप पूरा करना चाहिए या इस अधूरे खत को यूँ हीं रहने देना चाहिए। सच में कैसी अजीब दोस्ती है, दोस्त को दुख न पहुंचे, इसलिए दस वर्ष से सान्वी इस अधूरे खत और अपराध बोध के साथ जी रही थी।

डॉ. अर्पिता अग्रवाल

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11 Comments

Seema Priyadarshini sahay

12-Mar-2022 02:00 AM

बहुत ही अच्छी कहानी है मैम

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Dr. Arpita Agrawal

12-Mar-2022 07:24 AM

शुक्रिया सीमा जी 😊

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Gunjan Kamal

12-Mar-2022 01:39 AM

बहुत अच्छा लिखा आपने मैम । शानदार प्रस्तुति 👌

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Dr. Arpita Agrawal

12-Mar-2022 07:24 AM

बहुत-बहुत धन्यवाद गुंजन जी

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Niraj Pandey

12-Mar-2022 12:24 AM

बहुत सही लिखा आपने अगर एक सच्चा मित्र आपके साथ है तो आप संसार मे सबसे अधिक धनी और किस्मत वाले इंसान हैं

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Dr. Arpita Agrawal

12-Mar-2022 07:23 AM

शुक्रिया नीरज जी😊

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